इतनी शिद्दत से मैने डिग्री पाने की कोशिश की है
के हर जर्रेने मुझसे मार्क्स दिलाने की साझिश की है...
वो कहते है के अगर तुम दिल से किसी सब्जेक्ट मे पास होना चाहो
तो सारी कायेनात तुम्हे पास करवाने मे लग जाती है...
ये एग्झाम्स भी अपनी हिंदी फिल्मों की तरह होती है
अंत तक सब कुछ अच्छा हो ही जाता है..
Happy Endings!!!
अगर कुछ अच्छा नही होता तो एग्झाम्स कभी खतम नही हुआ....
सप्लिमेंटरी अभी बाकी है मेरे दोस्त!!!
:-)
06 February 2008
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